The संक्रामक रोग से बचने के उपाय Diaries



और वैसे भी गाय-भैंस को यदि टी.बी. अथवा अन्य कोई संक्रामक रोग हुआ तो वह सरलता से दूध के माध्यम से मनुष्यों को हो सकता है क्योंकि समुचित पाश्च्युराइज़ेशन कारखानों में ही सम्भव है।

शैलेन्द्र कुमार ने बताया कि मौसम बदलने और तापमान में हो रही बदलाव के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे आसानी से लोग बिमारी से पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में कुछ घरेलू उपाय करने से बचा जा सकता है। लोगों को खूब पानी पीना चाहिए। जूस और कैफीन रहित चाय का सेवन करना चाहिए। फलों में एंटीऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं, जिनका सेवन करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है और शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकलते हैं। अगर आपको डायरिया या उल्टी की शिकायत है तो इलेक्ट्राॅल पाउडर का सेवन फायदेमंद होगा। इसके अलावा, नींबू, लेमनग्रास, पुदीना, साग, शहद आदि भी फायदेमंद हो सकते हैं।

प्लमोनरी टीबी – यह टीबी का प्राथमिक रूप होता है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह अक्सर बहुत ही कम उम्र वाले बच्चों में या फिर अधिक उम्र वाले वृद्ध लोगों में होता है।

किसी भी रोग के होने की पहली आवश्यकता रोग के कारक हैं। रोग कारक जीवित या अजीवित दोनों में से एक या दोनों ही हो सकते हैं। एक रोग के लिए कोई एक कारक या अनेक कारक भी हो सकते हैं। रोग से सम्बन्धित उल्लेखनीय कारक निम्न हैं-

*यदि उनमें बुखार और खाँसी जैसे लक्षण हैं, तो उन्हें अपने परिचित डॉक्टरों या ऐसे चिकित्सा संस्थानों से परामर्श करना चाहिए जो कोरोनावायरस की जाँच और चिकित्सा देखभाल उपलब्ध करा सकें।

मौसम में परिवर्तन का असर:तापमान में बदलाव से रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है कमजोर, घरेलू उपाय से बच सकते हैं

हमने दो विशेषज्ञों से छोटे बच्चों के टीकाकरण पर उनके विचार जाने।

महामारी पर सरकार की विशेषज्ञ समिति में शामिल तोहो विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर तातेदा काज़ुहिरो का कहना है कि ओमिक्रोन के अलावा कोई अन्य प्रकार, वायरस का अगला प्रमुख प्रकार बन सकता है। उनका कहना है कि वायरस के वर्तमान प्रसार को रोकने के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि जिन लोगों ने अभी तक अपनी तीसरी ख़ुराक हासिल नहीं की है और जिन लोगों को चौथी ख़ुराक का कूपन मिला चुका है, वे जितनी जल्दी हो सके टीकाकरण करवा लें।

चिकित्सा संस्थानों पर बोझ कम करने के लिए, केंद्र सरकार ने अपनी रिपोर्टिंग आवश्यकता को निम्नलिखित श्रेणियों तक सीमित कर दिया है:

अतः लैंगिक सम्बन्ध केवल अपने जीवनसाथी से रखें तथा एक से अधिक व्यक्तियों के साथ यौन सम्बन्ध बना चुके व्यक्ति में यौन-संक्रामक रोग होने की आशंका सर्वाधिक होती है क्योंकि चाहे कितनी भी तथाकथित सावधानियाँ बरत लें, त्वचा व दैहिक तरलों के माध्यम से कई कण व द्रव एक-दूसरे में जायेंगे ही जायेंगे।

अगर इलाज ना किया जाए तो टीबी एक घातक स्थिति बन सकता है। सक्रिय टीबी को अगर बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए तो यह फेफड़ों के प्रभावित करता है और खून द्वारा शरीर के अन्य अंगों में भी फैल सकता है।

दूसरी ख़ुराक लेने के बाद के वायरस-नाशक एंटीबॉडी का स्तर तीसरी ख़ुराक के बाद के स्तर के औसत से अधिक रहा। लेकिन विभिन्न व्यक्तियों के बीच इस आँकड़े में काफ़ी अंतर पाया गया। हालाँकि, चौथी ख़ुराक के बाद सभी लोगों में have a peek at this web-site वायरस-नाशक एंटीबॉडी का स्तर बढ़ा पाया गया।

बहुत से लोग टीकाकृत हैं, लेकिन उद्देश्य है कि वायरस संक्रमण से लोगों में गंभीर लक्षण पैदा न हों। संक्रमण के प्रारंभिक चरण में उपयोग करने पर दवाएँ गंभीर रूप से बीमार होने का ख़तरा घटा सकती हैं।

लिम्फ़ोग्रॅन्युलोमा वेरेरियम : यह जीवाणिक संक्रमण गले व गुप्तांगों के आसपास के क्षेत्र से भी फैल सकता है।

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